तंगी के चलते छोड़ रहे थे पढ़ाई
शिक्षकों ने प्रेरित किया तो केंचुआ खाद, वर्मीवाश व साबुन बनाकर भरी फीस
शिक्षकों ने उत्पाद बनाने के प्रैक्टिकल सहित दिए 40 हजार रुपए
सेंट्रल यूनिवर्सिटी के ग्रामीण एंड प्रौद्योगिकी विभागाध्यक्ष डॉ. पुष्पराज सिंह, डॉ. दिलीप कुमार ने आर्थिक तंगी से परेशान इन छात्रों की समस्या हल करने की ठान ली। उन्होंने सिलेबस के कोर्स को देखते हुए अध्ययन सह आय की योजना बनाई। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को रखा और उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ प्रैक्टिकल के लिए अपनी ओर से 40 हजार रुपए की सहायता देकर केंचुआ खाद, वर्मीवाश, एजोला उत्पादन और हर्बल साबुन बनाने की विधि सिखाई। जिसे बेचकर अब वह मुनाफा कमा रहे हैं।
इन छात्रों ने अपनी कमाई से जमा की फीस
सीयू के बीएससी पंचम सेमेस्टर के डोमन चन्द्रवंशी की फीस के 3599 रुपए जमा कराए गए। इसी तरह ऋषभ बेहरा, यशवंत नाथ योगी, प्रीतम एक्का, प्रवीण सिन्हा, परमेश्वर जयसवाल, शुभम पाठक, संदीप चंद्रवंशी, धनराज कनौजे की फीस की राशि जमा की गई। एमएससी प्रथम सेमेस्टर, बलराम साहू, मिस्टर इंडिया लोनिया, मान सिंह की फीस प्रति छात्र 2646 रुपए जमा कराए गए। छात्रों ने मुनाफा कमाने के बाद बचे पैसों को फिर से उत्पादन में लगा दिया।
मछली पालन, लाख कीट उत्पादन शुरू
छात्रों ने अपने मुनाफे का उपयोग कर यूनिवर्सिटी के तीन तालाबों में मछली पालन शुरू कर दिया। 40 हजार रुपए की लागत से आयस्टर और पैडी मशरूम तथा 22 हजार रुपए की लागत से लाख कीट उत्पादन कर रहे हैं। कैंपस में अर्जुन के 300, साजा के 130 और शहतूत के 80 पौधे रोपे गए हैं।
छात्रों ने उत्पादन के लिए खुद बनाए 12 टैंक :ग्रामीण एंड प्रौद्योगिकी विभाग के छात्रों ने केंचुआ खाद, वर्मीवाश, एजोला उत्पादन के लिए खुद ही गड्ढे खोदकर, ईंट और सीमेंट से 12 टैंकों का निर्माण किया। इसमें 1 कंपोस्ट टैंक, 5 वर्मी कंपोस्ट टैंक, 4 एजोला टैंक, 2 नॉडेप कंपोस्टिंग टैंक शामिल हैं। 80 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन किया जिसमें से 65 क्विंटल बिक चुका है।
छात्रों का विकास करना योजना का उद्देश्य
ग्रामीण एंड प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पुष्पराज सिंह का कहना है कि अध्ययन सह आय योजना का उद्देश्य छात्रों में प्रायोगिक ज्ञान का विकास करना है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने उन्हें उत्पादन तकनीक की बारीकियों से अवगत कराना। कौशल विकास करना। छात्रों को बाजार की मांग से अवगत कराना है।
एक दिन में बिका 20 हजार रुपए का हर्बल साबुन
डॉ. दिलीप कुमार के निर्देशन में छात्रों ने जेल, ग्लिसरीन, लेमन ग्रास तेल, पौधों के सुगंधित तत्वों का उपयोग कर अलग-अलग साइज के हर्बल साबुन तैयार किए। पहले ही दिन यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों के 20 हजार रुपए के साबुन बिके।