मैत्री बाग में सालों से अकेले रह रहे शेर
तेंदुआ और मगरमच्छ को मिलेंगे नए साथी
भिलाई । शहर के मैत्री बाग में अकेले रहे वन्य प्राणियों को जल्द नए साथी मिल जाएंगे। जू प्रबंधन ने इसके लिए जंगल सफारी रायपुर और कानन पेंडारी जू प्रबंधन से संपर्क किया है। इनमें से कानन पेंडारी जू प्रबंधन मैत्री बाग को डिमांड मुताबिक जोड़ा तैयार करने के लिए तीन जानवर उपलब्ध कराने को तैयार हो गया है। अगले दो महीने में प्रक्रिया को पूरी कर लिए जाने की उम्मीद है। दरअसल, बीते महीने जू अथारिटी ऑफ इंडिया की टीम छत्तीसगढ़ के दौरे पर थी। इस दौरान टीम ने मैत्री बाग का भी निरीक्षण किया। उन्होंने बाग में ऐसे वन्य प्राणी जो सिंगल है, उसे लेकर आपत्ति जताई थी। साथ ही जल्द ही उनका जोड़ा तैयार करने के लिए निर्देश दिए थे। मैत्री बाग में ऐसे तीन वन्य प्राणी है, इनमें लेपर्ड, लायन और मगरमच्छ शामिल है जो वर्षों से अकेले रह रहे हैं।
सांप के काटने से हुई थी बाघ की मौत
एक फीमेल लेपर्ड की मौत के बाद 2009 में फीमेल लेपर्ड जू में लाई गई। दोनों का जोड़ा करीब 6 साल तक साथ रहा। 2015 में मेल लेपर्ड की मौत होने के बाद से फीमेल लेपर्ड अकेली रह रही है। मैत्री बाग में शेरों का कुनबा सिमटता जा रहा है। एक समय ऐसा भी था जब गार्डन में 5 रायल बंगाल टाइगर थे। इनमें से तीन साल पूर्व दो टाइगर की मौत हो चुकी है। एक टाइगर की मौत साल 2015 में सांप के काटने से हुई थी। यहां 8 सफेद बाघ हैं। इनमें 5 नर और 3 मादा टाइगर शामिल है। मैत्रीबाग में इस समय 380 से अधिक शाकाहारी और मांसाहारी वन्य प्राणी हैं।
इन वन्य प्रणियों से बनी है जू की पहचान
जू में दो एशियाटिक लॉयन, एक लेपर्ड, दो भालू, 6 पाइथन, चार घड़ियाल, एक-एक मगरमच्छ व हाइना सहित हिरण, सांभर, नील गाय, खरगोश, बंदर, कछुआ, मोर व कई प्रजाति के पक्षी है। वन्य प्राणियों की 35 से ज्यादा प्रजाति मैत्री बाग में है। अब इनका कुनबा बढ़ाया जाएगा। मैत्री बाग से लायन का एक जोड़ा 2010 को बोकारो भेजा गया। उसके बाद दो फीमेल और एक मेल लायन रह गए। इनमें से मेल लायन की 2015 में मौत हो गई। दो फीमेल लायन ही बचे रह गए थे।यहां रह रहे मगरमच्छ की आयु 45 साल हो चुकी है। करीब 3 साल पहले यानि 2016 में उसकी फीमेल जोड़ीदार की मौत हो चुकी है। इसके बाग मैत्री बाग में एक ही मेल मगरमच्छ रह गया। अब उसे भी जल्द नया साथी मिल जाएगा।