आरटीओ के रिकॉर्ड में 30 फीसदी पते गलत

आरटीओ के रिकॉर्ड में 30 फीसदी पते गलत


इसलिए बच रहे अपराधी


रायपुर । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित क्षेत्रीय परिवहन विभाग (अारटीओ) के रिकॉर्ड में वाहन मालिकों के जो पते हैं, उनमें 30 फीसदी गलत हैं। ऐसा पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं। इसका बड़ा कारण आरटीओ में लापरवाही और मिलीभगत का खेल है। इस खेल का फायदा अपराधी उठाने में लगे हैं। वाहनों की जिस आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) काे डाक से भेजा जाना चाहिए, उसे ग्राहकों के हाथ में थमाया जा रहा है। इसके चलते पते का वैरीफिकेशन ही नहीं हो पा रहा।


एक माह में 12 हजार से ज्यादा वाहनों का रजिस्ट्रेशन


सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी से पता चलता है कि रायपुर आरटीओ में अकेले नवंबर माह में ही 12039 वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराया गया। इसमें दो पहिया और चार पहिया दोनों वाहन शामिल हैं। इन वाहनों की आरसी को सीधा डीलरों को ही सौंप दिया गया और उन्हीं से रिसिविंग भी ले ली गई। नियमानुसार, अारसी बुक को डाक से भेजा जाना चाहिए। हालांकि इसके पीछे की दलील है कि डीलर के पास ही लोग वाहनों के दस्तावेज लेने जाते है। ऐसे में उन्हें ही बांट दिया जाता है।


वाहन मालिक के पते की सही सही जानकारी मिलती है 


दरअसल, वाहन स्वामी जिस दस्तावेज से अपना पता दर्शाता है। उसी के आधार पर आरसी बुक तैयार की जाती है। जब आरटीओ की ओर से उस आरसी बुक को संबंधित पते पर डाक से भेजा जाता है तो वाहन मालिक का भी वैरीफिकेशन हो जाता है। अगर पता गलत होता है तो आरसी परिवहन विभाग को वापस हो जाती है। खास बात यह है कि आरसी को डाक से भेजने के लिए वाहन स्वामियों से 20 रुपए चार्ज लिया जाता है।


डाक से नहीं भेजने पर परेशानियां 


डाक से आरसी बुक नहीं भेजने पर सबसे ज्यादा परेशानी पुलिस को होती है और सबसे ज्यादा फायदा अपराधियों को। कई बार नियमों की अनदेखी के चलते ई-चालान भेजा जाता है या फिर अपराध होने पर सीसीटीवी के आधार पर वाहन मालिक का पता लगाने का प्रयास होता है, लेकिन पता गलत होने के कारण पुलिस उसे ट्रेस नहीं कर पाती। अपराध होने पर गाड़ी नंबर मिलने के बावजूद वाहन स्वामी का एड्रेस कई बार गलत पाया गया है। वहीं डाक विभाग को भी एक माह में 2.40 लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।


लाइसेंस भी बायहैंड दे रहा विभाग


रोज सैकड़ों की संख्या में लोग वाहन लाइसेंस बनवाने पहुंचते है। उस लाइसेंस को भी डाक से ही देने का प्रावधान किया गया है। बावजूद इसके लाइसेंस भी बायहैंड दिया जा रहा है। यही वजह है कि एड्रेस की जानकारी गलत होने पर भी पुलिस न ई-चालान भेज पाती है। न ही कोई अपराध होने पर पुलिस ऐसे वाहन स्वामियों को ट्रैस आउट कर पाती है।


अभी डाक से नहीं भेज पा रहे


आरसी बुक बाइपोस्ट अभी नहीं भेजे जा रहे हैं। एजेंसी को ही दे दिया जाता है। डीलर से ही वाहन स्वामी आरसी ले लेते हैं। नया प्लान तैयार किया जा रहा है।


डी रविशंकर, ज्वाइंट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, परिवहन विभा


एड्रेस पर नहीं पहुंचते चालान


ई-चालान भेजने के दौरान कई बार ये समस्या होती है कि पते पर चालान नहीं पहुंच पाते हैं। वाहन स्वामी ने जो पता आरटीओ को बताया है, वह कई बार गलत निकलता है। वर्ष 2019 में 20 से 30 फीसदी ई-चालान गलत पते के कारण लौटे हैं।


एमआर मंडावी, एएसपी, ट्रैफिक पुलिस, रायपुर