3 साल की मासूम से दूष्कर्म व हत्या के मामले में दोषी को फांसी
अहमदाबाद । निर्भया मामले में फांसी की सजा पाने वाले
चारआरोपी जहां कानूनी दांवपेंच के चलते बार बार फांसी की सजा कोचकमा देते नजर आ रहे हैं। वहीं गुजरात में 3 साल की मासूम सेदूष्कर्म व हत्या के मामले में दोषी अनिल यादव को फांसी कीतैयारी शुरु हो गई है। राज्य में 53 साल बाद किसी दोषी को फांसीदी जाएगी l
गुजरात के पुलिस महानिदेशक शिवानंद झा ने साबरमती जेलपहुंचकर महात्मा गांधी व सरदार पटेल के नाम पर बनी जेल कीकोठरी के बगल में बने फांसी घर का जायजा लिया। करीब पांचदशक से बेकार पडे इस फांसी घर में रंगरोगन व मरम्मत के लिएहाउसिंग बोर्ड की मदद ली जा रही है। साबरमती जेल में आखिरीबार वर्ष 1962 में फांसी की सजा दी गई थी जबकि गुजरात मेंसितंबर 1989 को राजकोट जेल में शशिकांत माली नामक कैदीको आखरी बार फांसी दी गई थी।
गुजरात में फांसी का यह आठवां मामला होगा। राज्य में पहली बारदाराजी रादपिया को मई 1953 फांसी दी गई थी, अगले माह जून1953 में वडोदरा जेल में माला
कोदर नामक कैदी को सजा दी गईथी। फांसी देने के लिए गुजरात के पास जल्लाद की व्यवस्था नहींहै, इससे पहले भी जल्लाद के लिए गुजरात ने तिहाड व यरवडाजेल से ही संपर्कसाधा था, इस बार भी जेल प्रशासन इन दो नामीजेल से ही जल्लाद बुलाकर फांसी की सजा को अंजाम देने वालाहै।
कानूनी रूप से सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आगामी 29 फरवरी कोसुबह साढे चार बजे अनिल यादव को फांसी पर लटका दियाजाएगा। पॉक्सो मामले में फंासी का गुजरात में यह पहला मामलाहोगा। इस कानून के तहत जम्मू कश्मीर के कठुआ, राजस्थान केअलवर तथा उडीसा के आंगुल जिले के कांगुला में पॉक्सो कानूनके तहत फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।
गुजरात पुलिस ने 19 अक्टूबर 2018 को आरोपी अनिल यादवको बिहार के बक्सर जिले के